-लेखन हिन्द- (Indian Write-ups ) -सत्यार्चन
माननीय प्रधनमंत्री जी को
इस प्रश्न का प्रेषण प्रयास पांचवीं बार भी विफल…
हम धर्मनिरपेक्ष प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर गौरव करें या शर्मिंदा हों ?
एक ओर प्रशासन हर अल्पसंख्यक की आस्थानुसार पूजा, इबादत, प्रेयर आदि निर्बाध सुनिश्चित कराने कटिबद्ध रहता है
दूसरी ओर …
वही प्रशासन बहु-संख्यकों को उनकी आस्थानुरूप
घंटों / दिनों की यात्रा / पंक्तिबद्धता की लम्बी प्रतीक्षोपरांत
2 सेकंड मात्र के दर्शन-लाभ तक से वंचित रखने का कर्तव्य भी निभा रहा है!
केवल बहुसंख्यकों के पूजास्थलों में ही सशस्त्र बल की नियुक्ति होती है!
क्या यही धर्मनिरपेक्षता है?
-सत्यार्चन-