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गौमाता के बलिदानों से सशक्त होता हिन्दुत्व !

गौमाता के बलिदानों से सशक्त होता हिन्दुत्व!

(मुझे व्हाट्स पर प्राप्त)

मुझे व्हाट्सएप पर प्राप्त इस तस्वीर में कई मृत गायें एक साथ दनाफई जाते दिख रही हैं••• मगर ये तो खुशी की बात है कि इतनी सारी गायों को हमने भले भूख /बीमारी से मर जाने दिया मगर हिन्दू एकता के आतंक ने मुसलमानों /दलितों को ना सिर्फ गायों को काट के खाने से रोका बल्कि गौमाता के शव से चमड़ा उतारने , अस्थियों के दवा आदि में भी उपयोग करने देने से रोकने में भी सफल रहा!

यही हिन्दुत्व की ताकत के प्रदर्शन का सुपरिणाम है!

आज का हिन्दू जाग गया है ••• ना गौमांस खायेगा, ना देश में किसी को खाने देगा, ना गाय को खाना देगा, ना ही गाय-बैल की कोई उपयोगिता शेष रहने देगा!

आज का जागृत व सशक्त हिन्दू तो केवल ‘अपने’ (सरकारी) कत्लखानों में शेष विश्व को गौमांस बेचकर मोटा लाभ कमायेगा!!!

यही तो है ना जागृत हिन्दुत्व!!!

  • सत्यार्चन
    #SathyaArchan
    (A global name at Web searches)
traffictail
Author: traffictail

8 thoughts on “गौमाता के बलिदानों से सशक्त होता हिन्दुत्व !”

    • आपने समझा और सराहा यही बहुत है… बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
      आप बहुत नियमित हैं और हम लापरवाह…
      (वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था तब भूल सुधार में लगे हैं!)

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  1. मुझे दुख है कि आपने ब्लाग पोस्ट को पढ़े बिना टिप्पणी की है…. यदि पढ़ा है तो या तो मुझे हिंदी व्यंग लिखना नहीं आया या आपको समझ नहीं आया…. कुछ भी हो यह मेरी कलम की असमर्थता है….. निवेदन है कि फिर से पूरी पोस्ट पढ़िये फिर भी आपकी शिकायत शेष रहे तो स्पष्ट शब्दों में अपनी आपत्ति लिखिये … अभी तो आपका आशय अस्पष्ट है….

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  2. आपने ‘ हैदरबाद ‘ शब्द जोड़ कर सब खत्म कर दी अपनी लेखनी की ताकत
    आइये बिहार का दरभंगा, मधुबनी और मजा लीजिये बिहार में बीजेपी के हिन्दू सत्ता में गौ हत्या का,
    आइये गुजरात गाय तो नकली माता है असली माता औरत, CD बनाकर समुचे मार्केट में फैला दी जाएगी । जब आपके असली माता का ख्याल नहीं तो गाय तो मानने की माता हैं।

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    • हैदराबाद शब्द के साथ मुझे व्हाट्सएप पर अग्रेषित संदेश तस्वीर सहित प्राप्त हुआ था ….. जिसपर मैंने व्यंग लिखा है… मुझे नहीं लगता कि भारत की विषमताओं को उकेरते समय बिहार और तेलंगाना में भेद करना चाहिये…. वैसे शायद आपको जानकर प्रसन्नता हो कि आप जिससे बहस कर रही हैं वह 2010 का “राष्ट्रीय रतन अवार्ड॑” नामांकिती है व दिसंबर ’17 से “इंडियन जर्नलिस्ट फार इंडियन पीपुल” की मध्य प्रदेश इकाई का अध्यक्ष है….

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      • तब क्या मैं आपको यह कह सकती हूँ कि आप इंडियन जर्नलिस्ट्स फार इंडियन पीपुल के अध्यक्ष के नाते आप अनुतीर्ण है ??
        फिलहाल सारे जर्नलिस्टों ने मिलकर 4 SC के जज को कभी कांग्रेसी तो कभी वामदल बताकर अपनी पत्रकारिता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा लिया है ?
        क्या कदम उठाते रहे हैं आप इन पत्रकारों के खिलाफ ?
        क्या आपको पता है आप जिससे बहस कर रहे है वह राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित है।
        बिके हुए पत्रकार रजत शर्मा को पदम् बिभूषण से अलंकृत करना, सुधीर चौधरी तिहारी को z plus सुरक्षा मिलना, सुभाष चंद्रा को राजसभा भेज देना इस सबके विरुद्ध कभी कुछ लिखा ??
        उसके लिए संदेश दिया कि हे पत्रकार तुम रवीश की तरह राम नाथ गोयनका अवार्ड लो कलम चलाकर ! वैसे आपको बुरा लगता हो तो पोस्ट पर कॉमेंट नहीं दूँ बोल दीजियेगा । धन्यबाद

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        • रत्ना जी,
          नमस्कार … आपके प्रश्नों, आपत्तियों व आलोचनाओं का सदैव स्वागत है… किन्तु … आपका मंतव्य अधिकांश अवसरों पर मुझे समझ नहीं आ सका… तो वह पूछना तो मेरा अधिकार है ना… दूसरी बात यह कि आलोचना / प्रशंसा से पहले सूक्ष्म अवलोकन तो अपेक्षित है ना…. मैं किसी भी विचारधारा, व्यक्ति या समूह का ना तो अंधविरोधी हूँ ना समर्थक….. मैं केवल शुभ का पक्षधर हूँ… आपने जिस विषय पर मेरे आलेख की अपेक्षा की है… वह और वैसे विषय मेरे भी अभीष्ट है…. किन्तु कुछ व्यक्तिगत विषमतायें हैं जो सफल होने नहीं देतीं….

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        • आपकी एक प्रतिक्रिया ब्लाग से जानबूझकर हटाई हुई है…. क्योंकि उस पर कार्य करने का मेरा मन है … और अभी गोपनीय रखना चाहता हूँ…

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