एक वीडियो देखने में आया जिसमें एक युवती अपनी स्कूटी का हेंडल पकड़कर खड़े किशोर को स्कूटी चोर मानकर तमाचा मारती है..
.. किशोर झल्लाते हुए बताता है कि गली में खेलते बच्चों ने स्कूटी गिरा दी थी तो वह तो वापस खड़ी कर रहा था..
युवती किशोर की सफाई को अनसुना कर उसे चोरी और सीनाजोरी के लिये खरी खोटी सुनाकर भगा देती है..
उस युवती का उसी किशोर से 2-3 बार और सामना होता है तो युवती उसे चोर मानते हुए बेइज्जत करते रहती है.. किशोर हर बार जोरदार खिलाफत करता है..
संयोग से युवती का बॉयफ्रेंड किशोर का बड़ा भाई ही होता है.. एक दिन अनायास बॉयफ्रेंड के घर मिलने पहुँचने पर युवती का किशोर से भी सामना हो जाता है… युवती बॉयफ्रेंड के सामने भाई और गर्लफ्रैंड में से एक को चुनने का विकल्प रखती है…
(फिर जो हुआ वह वीडियो लिंक पर जाकर देख लीजिएगा.. https://fb.watch/6bNOmvqt3t/
वीडियो देखकर मुझे सामाजिक पतन पर दुख तो हुआ मगर यह भी लगा कि..
‘वो’ तो बहुत सच्ची थी.. बहुत अच्छी थी.. खुल के बोली तो..
कि दो में से एक चुन लो..
नहीं तो आज की जो स्मार्ट गर्ल्स हैं वे दिखावे के लिये भले आपको लगातार जताते रहें कि..
” तू भला… तेरे दोस्त भले… भाई-भाभी…, बाप-माँ.., दादा-दादी, बहन-बहनोई भले… तेरा घर.. तेरा शहर.. तेरा वतन.. तेरा धरम.. भी भले … तेरी इच्छायें… तेरी पूजायें-इबादतें.. चाहतें … सपने … बेमिसाल हैं…”
मगर अंदर ही अंदर वो ऐसा खेला करती हैं कि..
ना तो कोई एक रिश्ता ही बाकी बचने दें…ना घर ना शहर.. ना वतन.. ना ईमान ना धरम… ना जात ना समाज.. कुलीनता और सामाजिक मर्यादाओं की तरफ सोचने का तो सवाल ही नहीं…
यहाँ तक कि एक दिन आपके लिये आप खुद भी खुद से ही अनजाने लगने लग जाओ.. खुद को उस इच्छाधारी नागिन की कैद में पाओ..!
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खुदबखुद ही देख लें कि रिश्ते क्या होते हैं.. .
निभाये जा सकें तो सोना हैं तराश लें तो हीरे हैं..
मगर नकारे जायें तो कोयले..!
अब अच्छा जौहरी तो पूरी की पूरी खदान को सम्हालते नहीं थकता… और नासमझ कोयलों में हीरे खोजने की ना तो जहमत उठाता है और ना ही काबिलियत पैदा करता.. वो तो कोयले के साथ साथ हीरे भी भट्टी में झोंककर राख कर लेता है..! फिर भी जीवन में अनेक बार वक्त आता है तो सिखा जाता है.. फिर चाहे वो कैसा भी कोई भी रोना हो! रिश्तों के बिना परिवार और परिवार के बिना ना तो सभ्य मानवीय समाज संभव है ना परिवार और ना ही स्वयं मानव.. मिट जायेगा.. फिर से बंदर बनता मानव.. बंदर ही हो जायेगा.. -#सतचेतक