💐“शुभ गौवर्धन”💐
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श्रीराम के वनवास से निजनगर पुनरागमन के उत्सव दीपावली की अंधकार युक्त अमावसी
श्याम रात्रि को नगरवासियों ने
सर्धाधिक प्रकाशित कर दिखाया था!
वनवास में श्रीराम ने गौवंश के संरक्षण की आवश्यकता को निकटता से अनुभव किया था और वनवास से लौटकर राजसिंहासन पर विराजमान होने जा रहे थे!
जब श्रीराम अयोध्या में प्रवेश कर रहे थे तब अयोध्यावासियों की उत्साहित अनुरक्ति को स्पष्ट देख रहे थे! तब श्रीराम ने रामराज्य का पहले आदेश को संदेश की तरह प्रसारित करने के लिये गौसंवर्धन के कार्यक्रम का शुभारंभ किया.. समस्त अयोध्या वासी भी उत्साहपूर्वक गौसंवर्धन के इस पुनीत कार्यक्रम में सम्मिलित हुए तभी से दीपावली का अगला दिन गौवर्धन को समर्पित है.
त्रेता में श्रीराम से पहले सतयुग में आदिदेव महादेव हर समय स्वयं से पहले नंदी के आतिथ्य का संदेश देकर गौवर्धन के प्रतीक बने..!
श्रीकृष्ण ने भी सर्वप्रथम संदेश गौवर्धन का ही दिया..!
इससे स्पष्ट है कि हर युग के मनीषियों ने गौवंश की महत्ता को सर्वोपरि रखा है..
अब आज के इस कलयुग में कोई भी सार्वभौमिक सर्वमान्य मनीषी नहीं है.. केवल हमारी आपकी अंतरात्मा ही सर्वश्रेष्ठ मनीषी है.. अत: हर जागृत आत्म के स्वामी से गौवंश के नाश को रोकने और संवर्धन में सहयोगी होने की अपेक्षा है. गौवंश के शत्रुओं से दूरी और सौरक्षकों का सहयोग आज भी प्रथम आवश्यकता है !
याद रखिये कि सनातन मान्यता अनुसार गौवंश की समाप्ति के साथ मानवता का अंत सुनिश्चित है!
अत: कृपया ऐसा कुछ ना करे़ जो गौवंश को घातक हो सकता हो! साथ ही गौवर्धन में यथासंभव सहयोग करें!
शुभ गौवर्धन!
शुभ अन्नकूट!
शुभ समय!
- ‘सत्यार्चन’