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मूल श्रोत हूँ मैं!

यहाँ जो भी सुख, सुविधाएं, साधन, सम्पत्ति, समृद्धि हैं उनका मूलश्रोत मैं ही हूँ..! इसीलिए मान-सम्मान का अधिकारी भी…!

मैं एक सत्य हूँ!


किन्तु कलयुगी धूर्त मेरे अपमान में आनंदित हैं.. अत: आने वाले  कल में कुछ भी शेष नहीं रहने वाला.. सब चुक जायेगा… सब!
मैं सद्भाव सुत “सौहार्द” हूँ!
और ‘#सत्य – #शिव – #सनातन- #श्रीकृष्ण- श्रीराम सहित समस्त शुभ का #मूलकारक भी मैं ही हूँ…

traffictail
Author: traffictail

5 thoughts on “मूल श्रोत हूँ मैं!”

    • आपने समझा और सराहा यही बहुत है…
      बहुत बहुत धन्यवाद् है जी आपका!
      आप नियमित हैं और हम लापरवाह…
      (वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था तब भूल सुधार में लगे हैं!)

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      • करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं।

        विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो॥

        ⛳सत्य सनातन धर्म की जय⛳

        ????????????????????

        #ॐनमःशिवाय ????
        #ॐगुरुवेनमः ????
        #ॐश्रीशिवायनमस्तुभ्यम् ????
        #जय
        कालेश्वर_महादेव ????
        #हर___हर___महादेव????????

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