कर सके तो कर
श्रीराम की तरह काबू में
भटकता अपना मन

मन!
जो चाहता है
तरह तरह के रमण
कर सके तो कर
इस रमण का दहन !
वही है वास्तविक रावण
होना चाहिए जिसका दहन!
मेरे-तुम्हारे ही भीतर तो हैं विराजे
शुभ बनकर श्रीराम
और
भीतर ही छुपा बैठा है
मन रमण रावण!
कर सके तो कर
इस रावण का दहन!