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रामराज काहू नहिं व्यापा..

शुभ दीपावली!

यदि समस्त #मानवता… (विश्व का प्रत्येक मनुष्य), #श्री_राम जैसा होने के सच्चे प्रयास… प्रारंभ ही कर ले.. तो भी.. यह धरती #स्वर्ग_सी_सुंदर बन जाये…!

ऐसा क्या था #श्रीराम में?

श्रीराम को जानने से पहले #रामराज्य को जान लेना सहायक होगा… #गोतुदा ने रामराज्य का सार मात्र एक चौपाई में ही समाहित कर रख दिया है…

#दैहिक_दैविक_भौतिक_तापा, #रामराज_काहू_नहिं_व्यापा!

देखिए फेसबुक लाइव में … https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=488069859930859&id=100001326156946

अर्थात #श्रीराम_के_राज्य_में #नियति इतनी कृपालु थी कि श्रीराम के राजा रहते हुए किसी भी #देशवासी_को शारीरिक, मानसिक या सार्वजनिक, कैसे भी, कष्ट का सामना कभी नहीं करना पड़ा!

सनातन मान्यता में #राज_के_आचरण के अनुरूप ही प्रजा पर #ईशकृपा और ##कोपोंं_का_निर्धारण होता है! इसीलिए ऐसे दुखरहित #सम्पूर्ण_सुखमयी_रामराज्य का होना तो #तभी_संभव_हो_सकता था ना जब राजा #न्यायी, #तटस्थ, #स्थितप्रज्ञ, और स्वयं के व्यक्तित्व को द्विभाजित कर व्यवस्थापक व सामान्य हितग्राही दोनों में ही देखने में सक्षम हो? जब राजा #अपने_और_अपने_स्वजनों के हितों के प्रति #अनासक्त हो… संत-सम उदासीन हो… #राजकीय_व्यवस्थाओं और हितों को संरक्षित करने के लिए राजा; केवल सेना या जनता से ही बलिदान व परित्याग चाहने वाला ना हो बल्कि हर तरह के बलिदान व परित्याग के लिए सर्वप्रथम स्वयं ही तत्पर रहने वाला हो! जो राजा #अनुशासित हो और कानून व्यवस्था का #मात्र_रखवाला ही नहीं पालन करने वाला भी हो…! जो नैतिक मर्यादाओं से पूर्णतः आवद्ध रहता हो ! और पुरुषों में सबसे उत्तम होते हुए, राजा श्रीराम, मर्यादित जीवन जीने वाले ही तो थे!

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Author: traffictail

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