सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया उन 3 लड़कों को जिन्हें निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने, समाज के लिए खतरनाक वहशी दरिंदे मानते हुए 3 नों को फाँसी की सजा निर्धारित की थी!
उससे भी अधिक आश्चर्यजनक यह है कि फैसला सुनाते समय माननीय बेंच ने उन तकनीकी कारणों का, उल्लेख तक नहीं किया, जिनको अनदेखा कर निचली अदालतों ने निर्दोषों को सजा सुनाने की भूल की होगी?
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सुप्रीम कोर्ट ने छावला गैंगरेप के दोषियों को बरी किया: हाईकोर्ट ने दी थी फांसी की सजा, कहा था- ये हिंसक जानवर, शिकार ढूंढते हैं
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