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एक और विरह गीत

मारीचिका बन गई हो!

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गीतिका बन गई हो
नव वीथिका बन गई हो!
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दीवान किसी शायर का
  या फिर ग्रंथ हो कोई..
या अनजाने में अंतर्मन की गीतिका बन गई हो…
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मेरे स्वप्निल सृजित
सुरभित से स्वर्ग की..
नव वीथिका बन गई हो..
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गहराती प्यास छूटती राह टूटती साँस के पल की
मारीचिका बन गई हो..
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गीतिका बन गई हो
नव वीथिका बन गई हो!
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traffictail
Author: traffictail

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