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राष्ट्र, समाज, धर्म, रूढ़ि, ब्राह्मणवाद और धर्मधर

धर्म; एक सर्वाधिक प्रभावशाली सामाजिक व्यवस्था है!
रूढ़िवाद ही धार्मिक प्रचार, प्रसार की रीढ़ है किन्तु कालातीत  रूढ़ियां धर्म के चेहरे पर
भद्दे दाग की तरह भी हैं!
ऐसे रुढ़िवाद के विरुद्ध खड़े होने वाले ही वास्तविक #धर्मरक्षक हैं!
जबकि #रूढ़िवादी बहुसंख्यक
उन #वास्तविक_धर्मधरों को ही
#धर्म_विरुद्ध सिद्ध कर देते हैं!
यही
#ब्राम्हणवाद या #पुरोहितवाद
का #नकारात्मक_पहलू है!
यथार्थ #धार्मिक_जागृति के लिए

#चेतन्यता जरूरी है !

……….#सत्यार्चन का #सतदर्शन ……..

traffictail
Author: traffictail

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