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सत्यं शुभं सुंदरम्!

सत्य ही शुभ है.. नित्य है.. शिव है!

सत्य का ऊपरी … बाहरी दर्शन विद्रूप या भयानक लग सकता है किन्तु ठीक तरह से देखने पर सत्यानुभूति होने पर पता चलता है कि जो भी सुंदरतम है … शुभंकर है… आनंद कर है वह केवल और केवल सत्य है! फिर चाहे वह नित्य दर्शित हो या ना हो वह स्थित अवश्य होता है !

यही सत्य है !

जो नित्य है वही सत्य है अथवा जो सत्य है वही नित्य है वही निरंतर है …! निष्काम तटस्थ और अनश्वर भी…

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Author: traffictail

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