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प्रेम – 3


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प्रेम- 3′
जन्मता बचपन
या फिर यौवन में..
प्रेम

रहता आजीवन..

मिट अक्षुण्ण!
– ‘सत्यार्चन’


@sathyarchan
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. -‘सत्यार्चन’

traffictail
Author: traffictail

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