ये गलत तो वो कैसे सही?
आज उनको ‘उसके’ (रूस को यूक्रेन के) सिर ऊँचा रखने में खतरा दिखा तो वो ‘उसे’ मिटाने निकल पड़े… कल किसी और की साँसों से भी उनको तकलीफ होगी तो क्या वे ‘उसकी’ भी (कोई भी, किसी की भी) साँसें बंद करने ही चल देंगे… क्योंकि समृद्ध हैं… ? ताकतवर हैं..? कर सकते हैं..? तो क्या उनकी ऐसी मनमानी उचित मान ली जाये?
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हमें क्या?
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हमने; हमारे ग्रेजुएशन में, मिलिट्री साइंस विषय में, द्वतीय विश्व युद्ध की विभीषिका को विस्तार से पढ़ा है …
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06 और 09 अगस्त को हिरोशिमा और नागासाकी पर ‘छोटा आदमी’ और ‘मोटा बच्चा’ की पढ़ी हुई तबाही आँखों में बसी है… इस तबाही की गहराई का अनुमान इसीसे लगा लीजिये कि वहाँ बम गिराने वाले विजयी सेना के अमेरिकी फायटर प्लेन के पायलट ने आत्मग्लानि में आत्महत्या कर ली थी…
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मेरी अनुभूतियाँ, विवेक और भविष्य दर्शन की शक्तियाँ सभी जागृत हैं … इसीलिये सबसे निवेदित है प्रयास कीजिये कि लड़ाई ना हो! मेरे साथ-साथ आप सब भी प्रार्थना कीजिये कि युद्ध समाप्त हो!
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1971 के भारत पाक युद्ध के ‘प्रतिदिन की प्रगति’ और उसके बाद के 2 दसकों की आर्थिक दुर्गति के भी…
अगर परमाणु युद्ध हुआ तो क्या-क्या होगा …? आप भी देखिएगा
एक अनुमान …
Nuclear War: आंधे घंटे में 10 करोड़ मौतें होंगी, 18 हजार साल पीछे चली जाएगी दुनिया, जानें परमाणु युद्ध हुआ तो क्या होगा?
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Source : “आज तक”