नवरात्रि की प्रथमा को ही देवी माता जी की तस्वीर के दर्शन ‘पोर्च में’ यानी पैरों में पड़े हुए…?
पूजन सामग्री पर देवी देवताओं की तस्वीर छापने पर तो प्रतिबंध लगा दिया गया है किन्तु अखबारों में कम से कम तस्वीरें तो प्रतिबंधित हों! या फिर देवी देवताओं की तस्वीर छपे किसी भी कागज के टुकड़े के असम्मानित स्थान पर पाये जाने पर फेंकने वाले के विरुद्ध कार्रवाई का कानून बने… कानून बन भी गया तो अनुपालन कैसे होगा यह अवश्य विचारणीय होना चाहिए! अखबारों और विज्ञापन दाताओं को भी अपने निहित स्वार्थ से ऊपर उठकर ऐसी प्रिंटिग से बचना चाहिए क्योंकि अखबार के पाठक केवल हिन्दू ही नहीं… अन्य भी होते हैं!