#खंडवा के पास के किसी गाँव की 15 साल की लड़की और 13 साल के लड़के में #दोस्ती_हो_गई… #मर्यादाएं_भंग_हुईं और कुछ महीनों बाद एक दिन उस लड़की ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया ..! तब कहीं प्रकरण सबके संज्ञान में आया!
वर्तमान के खानपान रहन सहन और उन्नत मीडिया के युग में ऐसा होना बहुत बड़ी बात नहीं… आगे भी ऐसी खबरें बहुतायत में आयेंगी और आते ही रहेंगी ! आखिर यूरोपीय रहनसहन के पूरे अनुकरण से ही तो #भारतीय_नारी का #सशक्तिकरण सिद्ध हो सकेगा ना?
इस प्रकरण में #बिडम्बना_यह_है कि 13 वर्ष क #मासूम (युवक?) को #बलात्कार_का_आरोपी बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है! जबकि उसकी सहवास संगिनी 15 वर्ष की (बच्ची?) है और दोनों में से पहल किसकी थी यह कहना बहुत ही कठिन है फिर भी दोषी बालक (युवक?) ही होगा! कानून ऐसा क्यों है?
क्योंकि कानून में किसी भी आयु की स्त्री के पुरुष को सहवास के लिये उद्यत या विवश करने की अवधारणा का पूरी तरह अस्वीकार है! इसीलिए नारी के संसर्ग उद्यत या विवश करने पर कोई कानूनी प्रावधान है ही नहीं और अवयस्क युवती की सहवास के लिये सहमति का कोई अर्थ है ही नहीं.. उसकी सहमति के साथ भी संसर्ग करने वाला पुरुष ही बलात्कार का दोषी ही माना जायेगा ! जबकि वयस्क पुरुष को ऐसी कामोत्तेजित नावालिग युवती संसर्ग को विवश करने की क्षमता रखती है फिर एक 13 वर्ष के बालक के मामले में उस बालक/ किशोर / युवक को दोषी ठहराया जाना कहीं से भी उचित नहीं.. किंतु कानूनन वो ही मुजरिम है! भले उससे 2-3 साल बड़ी किशोरी ने भावनाओं में बहाकर खुद ही उस लड़के का यौन शोषण किया हो !
समय की चाल के अनुसार परिवर्तित सामाजिक परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए नये कानूनी प्रावधानों की जरूरत बन चुकी है ! ऐसे असंगत कानून की त्वरित समीक्षा की आवश्यकता है!
दुखद यह है कि इस प्रकरण में निर्दोष (या पीड़ित ही) का अपराधी सिद्ध होना सुनिश्चित दिख रहा है!
*इंदौर में 13 साल के लड़के ने किया रेप:* 15 साल की लड़की ने 7वें महीने में दिया बच्ची को जन्म
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एक और नारी शक्ति समर्थन में बाइक पर बैठाकर ले जाने वाले मददगार पर अपहरण का प्रकरण दर्ज… (यह कानूनी मजाक नहीं तो क्या है!)
बॉयफ्रेंड के साथ भागी नवविवाहिता: रेलवे स्टेशन पर इंतजार करते रहे देवर और भांजे
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