मैंने कभी किसी के आमंत्रण को समयाभाव के कारण नहीं ठुकराया! ना ही मैंने किसी मिलने आने वाले को मिलने आने से ही रोका .. हाँ मिलने का समय थोड़ा बहुत आगे पीछे अवश्य करना होता है ! मेरी व्यक्तिगत दिनचर्या भी अव्यवस्थित नहीं है! बस वरीयताओं और वचनबद्धताओं का चयन सावधानी से करना होता है! त्वरित निराकरण सीखना होता है .. फिर सब सहज संभव हो जाता है!
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