अनादि अनंत अपरिमित अनाकार अविनाशी ईश्वर का ही सूक्ष्म स्वरूप है आत्मा !
इसीलिए
आत्मबल से बड़ा कुछ और नहीं!
आत्मा ही चेतना है!
जागृत चेतना युक्त अर्थात चेतन्य के लिए
कुछ भी असंभव नहीं!
विचार मात्र से ही वो, विनाशक विध्वंस और विशालकाय विनिर्माण, दोनों संभव करने में सक्षम है!