( एक बटे तीन #स्वच्छंद_काव्य त्रिवेणी!)
१- चलो अलविदा कह दें..
……….
बीती रात की विदाई
और किसी सुबह की अगुवाई में
बीती सूनी रातों को
अकेले में की बातों को
दहकते जज्बातों को
चलो अलविदा कह दें!
२- मधुर जीवन
………
आनंदित होना
और
आनंदमयी बने रहना
एक उत्तम कला है..
चलो सीखें !
३- मान लो ना …
………….अगर मान लो..कि हैं…
तो; हो जाते हैं!
फिर चाहे हों
वो खुशी या गम..
उत्सव या मातम..
अवसर या जोखिम
तो क्यों ना मानें हम
और
अंजुरी में भरने
तैयार हो बैठें
खुशियों भरे मौसम …