भारत के नये नागरिकता कानून पड़ौसी देशों से आने के इच्छुक सनातनियों का स्वागत करते हैं..
👇.. लेकिन..👇
(प्रतीकात्मक फोटो)
जब बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों के, राजनैतिक कारणों से शुरू हुए, कत्लेआम की वजह से, 1 करोड़ शरणार्थियों की जान बचाने के उद्देश्य से, भारत की सीमा में, घुसने की संभावना की, सूचना मिली तो; सनातनियों को नागरिकता देने की राजनीति करने वाली, भारतीय हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार ने, सीमा पर और सीमावर्ती राज्यों में, पहरे बैठा दिये!
यानी शरण चाहने वालों को सीमापार करने से रोकने का निर्णय कर कत्लेआम के शिकारों को कातिलों के भरोसे छोड़ने की मंशा दर्शायी है?
क्या भारत की हिंदू राष्ट्रवादियों की सरकार, हिन्दूवादिता तो छोड़िए मानवीयता के आधार पर भी, भारतीय संस्कृति के अनुरूप, शरणागत को शरण देने के महान कर्तव्य से, मुंह मोड़े ही रखना चाहती है? …और रखे रहेगी ?
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By Lokmat News via Dailyhunt.
मुझे लगता है भारत सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार कर, शरणार्थियों को, आने देना चाहिए और शरणार्थी कैम्पों में रखने की व्यवस्था करनी चाहिए!
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भारत सरकार का बांग्लादेशी शरणार्थियों को रोकना हिंदू राष्ट्रवादिता के विरुद्ध ही नहीं, एक तरह के राजनैतिक दोगलेपन का भी प्रदर्शन हैं!
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मेरी मति में तो हम भारतीयों को हमारे पड़ोसी राष्ट्र के निर्दोष हिन्दू भाईयों के लिए अपने हर भोजन में से आधी या एक रोटी, केवल कुछ महीनों या सालों तक के लिए, साझा करने की घड़ी आई है तो.. हमें; पीछे ना हटकर इसे एक अवसर मान, मानवता के प्रति अपनी अपनी वचनबद्धता दर्शानी चाहिए! यह मेरा व्यक्तिगत संकल्प नहीं मुझे लगता है मेरे भारत बंधुओं में से अधिकांश का यही अभिमत है.. !
बताइए दोस्तो… है या नहीं?
Author: Sathyarchan VK Khare
यथार्थ ही अभीष्ट हो स्वीकार विरुद्ध हो भले..!