जहाँ कर्तव्यों, भावनाओं और हित-साधनों के आदान प्रदान में हृदय भी सहयोगी हों वहाँ रिश्ते स्वस्थ और दीर्घायु होते हैं!
– ‘सत्यार्चन’
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भावाभिव्यक्ति हो हो तो मौन में भी सकती है… किंतु शब्दों से उसकी पुष्टि भी होती रहे तो… माधुर्य अधिक व शीघ्र प्रगाढ़ होगा!
– ‘सत्यार्चन’
दर्द लिखना पड़े…
या दिखाना जरूरी..
मोहब्बत कितनी किसको
चाहे गवाही…
ना मेहसूस हो..
ना कराई जा सकी..
तो
तुम ही कहो..
कहकर भी क्या हासिल?
– ‘सत्यार्चन’