मैं; ‘सत्यार्चन वीकुखरे सुबुद्ध’, एक भारतीय यानी मानवीय मूल्यों का अनुसरणकर्ता एक पशु ही हूँ… जो जब तक विचारवान एवं संवेदनशील है तभी तक मानव है…!
ईशनिवेदित है कि वो मुझे सदैव मानव ही बनाये रखे..!
शेष नाम केवल पुकारने के उपयोग हेतु होता है वह ‘सद्गुरु’ ‘सत्यार्चन’ ‘सुबुद्ध’ में से कुछ भी या सभी पुकार लीजिये, मेरा लिंग, उम्र, जाति, धर्म , रूप आदि भी केवल मेरी भौतिक पहचान के लिये ही उपयोगी हैं… मेरे निवास का स्थान, मेरा आवास, वाहन, उपकरण, व्यवसाय, पद, प्राप्त पुरुष्कार या दंड, मेरी आर्थिक स्थिति आदि सभी भी केवल मेरे भौतिक जीवन में मेरे मान के भौतिक निर्धारक हैं.. जिनका मेरे लेखन से कोई संबंध नहीं ! भौतिक जीवन में लेखन उत्कृष्टता अप्रासंगिक है वैसे ही लेखन के क्षेत्र में अर्थात यहाँ इस ब्लॉग पर प्रस्तुत विचारों से उन भौतिक उपलब्धियों का कोई संबंध नहीं ना ही उनके उल्लेख होने या ना होने इस वेबसाइट पर प्रदर्शित रचनाओं के आंकलन पर कोई अंतर ही पड़ने वाला… इसीलिए उनका यहाँ उल्लेख अर्थहीन है ! उन्हें व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और भौतिक जीवन तक ही रहने दीजिए ना.. फिर भी उत्कंठा वश जानना चाहें तो पृथक से किये प्रश्नों का भी बहुत बहुत स्वागत है!