सजनी का सजना…
हर सजनी सजती सँवरती है…
तो रूप निखर ही आता है…
हर सजनी सजती है
अपने सजन को समर्पित रहने… रिझाने…
मनाने…
जल्दी वापस बुलाने…
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साँवरी भी ऐसे ही उम्र भर सजती रही…. पर साजन… ना रीझा… ना माना… ना कभी वापसी को उतावला हुआ… बेचारी साँवरी…
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आखिर क्यों हुई होगी
साँवरी की
उसके साँवरे से दूरी?
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