चुनाव!
हमेशा सोच समझकर योग्यतम उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत प्रकट करने वाले व्यक्ति को जीवन में ठोस सफलताएँ मिलती है!
योग्य को चुनकर योग्यता का सम्मान कीजिए••• तात्कालिक लाभ के प्रलोभन में कभी कम योग्य का चुनाव मत कीजिए!
प्रसिद्धि योग्यता का मापदंड नहीं हो सकता!
प्रसिद्धि तो कुकृत्य और सुकृत्य दोनों ही देते हैं !
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुकर्मो की प्रसिद्धि सुकर्मो से 100 गुना तेज होती है!
किसी भी आम चुनाव के आँकड़े उठाकर देख लीजिए आज गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण के आँकड़ों जैसे ही होते हैं! आज के 89 सीटों पर हो रहे मतदान में 89 सीटों पर सभी प्रमुख दलों सहित कुल चुनावी प्रत्याशियों में से 137 दागी हैं! जिनमें से 78 पर गंभीर अपराधों के आरोपी हैं! अब तक के और आज के इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि हम आम भारतीय; अधिकांशतः उम्मीदवार के नामी-गिरामी होने को ही उसकी योग्यता मान लेते हैं! तभी दुर्दान्त अपराधों के आरोपी / अपराधी तक हर राजनैतिक दल की पहली पसंद बने हुए हैं!
जबकि किसी भी साधारण या जघन्य अपराध के अपराधी / आरोपी को चुनने का स्पष्ट आशय वैसे ही अपराधों को स्वयं अपने और अपने अपनों के साथ होते रहने देने का आमंत्रण ही हुआ ना ???
- सत्यार्चन
– SathyaArchan
(A GLOBAL name @Web searches)
प्रसिद्धि योग्यता का मापदंड नहीं हो सकता!
प्रसिद्धि तो कुकृत्य और सुकृत्य दोनों ही देते हैं !
बिल्कुल सही कहा।।
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आपने समझा और सराहा यही बहुत है… बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
आप बहुत नियमित हैं और हम लापरवाह…
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था तब भूल सुधार में लगे हैं!)
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