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राजनैतिक दशा-दिशा, मीडिया हाउस और कमाल के सुप्रसिद्ध एंकर्स…

राजनैतिक दशा-दिशा, मीडिया हाउस और कमाल के सुप्रसिद्ध एंकर्स…

जन संसद में प्रस्ताव आया कि भारत सरकार मुफ्त अनाज बांटने की तरह ही मुफ्त शिक्षा भी उपलब्ध करा दे..! तर्क यह कि जब मुफ्त अनाज बांटा जा सकता है तो मुफ्त शिक्षा क्यों नहीं?
जन संसद थी तो सबके पास अपने अपने प्रश्न भी रहे ही होंगे मगर इस एक के प्रश्न उठते ही यही प्रश्न सबका प्रश्न.. सबका प्रस्ताव बन गया…  लोग जोश में चिल्लाने लगे ! हवा में मुट्ठियां लहराने लगीं … !
यह जनसंसद मीडिया द्वारा आयोजित थी और अति लोकप्रिय सत्ताधारी राजनैतिक दल (पोषित उद्योग) द्वारा प्रायोजित! इसीलिए ग्रुप ऑफ एंकर्स में किसी को भी ऐसी स्थिति निर्मित होने की संभावना तो थी नहीं थी… फिर भी सुप्रसिद्ध वरिष्ठ एंकर ने माइक संभाला…
“बिल्कुल सही कह रहे हैं आप … ” शब्दों से शुरू किया…
“पिछले महीने मेरे मन में भी यही सवाल आया था… लकीली तब मैं ‘नेता जी’ के फ़्रांस टूर के मीडिया कवरेज के लिए, उनके साथ ही था! मैंने भी सामान्य बातचीत के बीच उनसे ‘यही सवाल सार्वजनिक रूप से करने की अनुमति चाही’ तो नेताजी ने मेरी आँखें खोल देने वाला जबाव दिया … उनका जबाव बताने से पहले मैं आप सबको बताना चाहता हूँ कि जबाव सुनकर मेरा सिर शर्म से झुक गया था!  मैं समझता था कि मैं बड़ी उपयोगी समझ रखता हूँ और इसीलिए बड़े काम की बात कर रहा हूँ.. मगर उनके जबाव को सुनने के बाद… मुझे लगने लगा कि नेताजी की सोच आसमान है तो हम तो जमीन की सतह से भी नीचे हैं… सुनिए नेताजी ने कितना अच्छा जबाव दिया..
वे बोले
“चौधरी जी; हम जानते हैं कि जनता के हित के सवाल उठाना आपका कर्तव्य है लेकिन हमारा तो धर्म ही राष्ट्र हित है..!  आप भी तो अच्छी तरह से जानते हैं.. अनेक लोकलुभावन योजनाओं के प्रस्ताव आते हैं हमारे पास मगर हमें हर तरह से देखना होता है कि किसी प्रस्ताव में सतही लाभ दिख रहा हो तो क्या वह दूरगामी राष्ट्रहितकारी भी है?  या नहीं..? यदि शिक्षा  मुफ्त कर दी गई तो शिक्षित बेरोजगारों की संख्या तो बढ़ेगी ही बढ़ेगी… कई करोड़पतियों के दिवालिया होने की संभावना भी बन जायेगी..! और ‘नंबर ऑफ एंटरप्रेन्योर’ में भी बड़ा डिक्लाइन आ जायेगा..! ऐसा हुआ तो निश्चित ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत की चमकती छवि धूमिल होने लग जायेगी ..! वर्तमान में तो छवि ही प्रगति है और छवि ही साधन भी..! छवि धूमिल हुई तो विश्वबैंक निराश हो सकता है…! यूएनओ नाराज.. तेल उत्पादक और हमारे मित्र राष्ट्र भी मदद लेने देने से पीछे हट सकते हैं! इससे बड़ा अहित और क्या होगा? और यदि आज शिक्षा मुफ्त कर दी तो कल स्वास्थ्य मुफ्त करने की मांग उठेगी ..  फिर बिजली..  पानी… परिवहन और वस्त्र आदि भी… क्या इस तरह हम हमारे नागरिकों को  भिखमंगों निकम्मों में नहीं बदल देंगे? कितनी बड़ी राष्ट्रीय क्षति होगी? समझ रहे हैं आप?”
वरिष्ठ एंकर सांस लेने रुका…
जूनियर एंकर ने नारा बुलंद किया
“ने..ता.. जी..!”
सब चिल्लाये “ज़िंदाबाद!”
वरिष्ठ एंकर आगे बोले
“नेता जी का ऐसा अनोखा और स्पष्ट वक्तव्य सुन मैं तो जमीन में गड़ ही गया! अब आप ही बताइए क्या शिक्षा -स्वास्थ्य मुफ्त होने चाहिए?”
पूरी भीड़ से “नहीं… नहीं… नहीं… बिल्कुल नहीं! ” के गगनभेदी नारे से जनसंसद गुलज़ार हो गई !
भीड़ में से किसी ने एक नया नारा उछाला…
“नेता जी का बड़ा आभार!
आप ही सबके पालन हार”
“नेता जी अगर सौ मांगेंगे
हँसते हँसते हम हजार देंगे!”
“नेताजी जब जो बोलेंगे, हम सब मिलकर वही करेंगे!”
भीड़ में जिसने मुफ्त शिक्षा का प्रस्ताव था वह सोच रहा था कि नेताजी के फ़्रांस दौरे की खबर सुनने में क्यों नहीं आई? पिछले 5-7 साल में तो बिल्कुल भी नहीं! गूगल करना चाहा तो देखा बैटरी डाउन है…! किसी और से मोबाइल मांगकर देखना संभव नहीं बचा था …थोड़ी देर पहले, भीड़ में जो लोग, उसके प्रस्ताव के साथ उसे भी सम्मान से देख रहे थे… अब उन्हीं की नजरों में हिकारत थी! थके थके कदमों से वो चल पड़ा उस प्रबुद्ध भीड़ से दूर..

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Author: traffictail

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