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हिन्दू कैसे बर्दाश्त करें रावण की गरिमा से खिलवाड़ ?

हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार, केबिनेट, संसद, जनप्रतिनिधियों और धर्म के अन्य सभी ठेकेदारों से अग्रिम क्षमा प्रार्थना सहित एक रचनात्मक वीडियो का लिंक साझा कर रहा हूँ!

इस वीडियो में
रावण का चरित्र निभाने वाले व्यक्ति की रचना धर्मिता स्वागत योग्य है ! अब ये ‘आदि पुरुष’ का सैफ अली खान तो है नहीं कि उसपर प्रश्न उठाये जायें ! हालाकि हमारे पौराणिक खलनायक ‘रावण की गरिमा’ के साथ खिलवाड़ तो यह व्यक्ति भी कर ही रहा है ! किन्तु यह व्यक्ति संभवतः अपने ही धर्म का है ! इसीलिए इसे हमारे पौराणिक पात्रों की गरिमा के विरुद्ध आचरण का अधिकार मिलना ही चाहिए और सबसे बड़ी बात यह कि व्यक्ति ने बिल्कुल वैसे ही पोशाक पहनी है.. वैसे ही गेटअप में है जैसा होना चाहिए!  जैसे गेटअप को, श्री रामानंद सागर जी, सी. रामचंद्र जी,  और उनसे पहले वाले फिल्म निर्माताओं ने अधिकृत कर राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया था! अधिकृत गेटअप मतलब रावण को रामायण सीरियल के रावण का चरित्र निभाने वाले अभिनव त्रिवेदी जी जैसा ही होना चाहिये  और रघुकुल शिरोमणि  श्री राम ठाकुर जी केवल मुछमंडे ही होने चाहिए, ठीक अरुण गोविल जी जैसे, और हनुमान जी तो हमेशा से दारासिंह जी जैसे हैं ही! भारत के घर घर में दारा सिंह जी के ही केलेंडर तो पूजे जाते हैं! किसी और को दारासिंह जी का स्थान कैसे दिया जा सकता है भला! हनुमान जी बानर थे इस मान्यता को अब भुला दिया जाना चाहिए… (क्योंकि मंत्री जी को पसंद नहीं!) किसी भी पौराणिक पात्र को किसी और गेटअप, चेहरे मोहरे में कैसे स्वीकार लें हम?
नहीं!
ना तो दूसरी तरह की मूर्तियां ही स्वीकार योग्य हों… और ना ही राम कथा का कोई अलग प्रस्तुतीकरण ही स्वीकार किया जाना चाहिए! दक्षिणी, पूर्वोत्तरी, मालवी आदि प्रदेशों में अलग-अलग तरह के राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, सुग्रीव, बाली, जामवंत, रावण, कुंभकरण, मेघनाद आदि जो भी माननीय के मानसपटल पर अंकित हैं वैसे ही होने चाहिए! उसके अतिरिक्त अन्य सभी रूपों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए! 

केवल एक तुलसीकृत रामायण और दूसरी बाल्मीकि रामायण की कथा को ही अधिकृत माना जाना चाहिए…  अन्य सभी लेखकों, कवियों द्वारा लिखित रामायणों के ऊपर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए!

हिन्दी फ़िल्मों में अब तक दर्शाये गेटअप से हटके अन्य गेटअप वाली मूर्तियों के  दर्शन प्रतिबंधित कर दिये जाने चाहिए!


एक और चीज अगर हो सकी तो; दुनियाँ भर से सांप्रदायिकता की समस्या का ही समाधान हो जायेगा… और वह यह कि – 

सभी नागरिकों को निजधर्म के अतिरिक्त अन्य किसी भी धर्म के सिद्धांतों, धार्मिक मान्यताओं, प्रतीकों आदि के प्रति कैसा भी व्यवहार प्रतिबंधित कर दिया जाये! अन्य धर्मों की मान्यताओं पर कैसी भी टिप्पणी प्रतिबंधित कर दी जाये! दूसरे के धर्म पर किसी को भी कुछ भी पढ़ने, लिखने, कहने, देखने, दिखाने की अनुमति ही ना हो! दूसरे धर्म का असम्मान और सम्मान पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाये! केवल अपने धर्म की समीक्षा, आलोचना , समालोचना या प्रस्तावित सुधार की ही छूट हो! तालिबानियों या जिहादियों की तरह पूरे देश में धर्म और अधिकृत धार्मिक मान्यताओं को  घोषित कर दिया जाये! अन्य प्रकार से धर्माचरण पर सजा दी जाये! यह इसीलिए जरूरी है कि हमारे हिन्दू धर्म में धर्माचरण में एकरूपता नहीं है ! लड़कियों को वही धर्म मायके में अलग तरह से और ससुराल में अलग तरह से मानना होता है जो पारिवारिक विवाद और विवाह विच्छेद का कारण तक बन जाता है! एकरूप संविधान सम्मत धर्म होगा तो विवाद होगा ही नहीं! ना परिवारों में ना झांकियों में ना समाज में ना प्रदेशों में, ना देश में ना दुनियाँ मेंं …!
और फिर भी किसी विधर्मी फिल्मी कलाकार को श्री राम या किसी भी हिन्दू आराध्य का चरित्र निर्वहन करना ही हो तो पहले वो हिन्दू बने! यह शर्त रख दी जाये! (भले फिल्म रिलीज के बाद वो चाहे जिस धर्म को अपनाये?)
… चलिए छोड़िए… लीजिए ये देखिये रावण का मनोरम नृत्य…
रावण निकले सड़क पर और मंदोदरी के साथ करने  लगे डांस, वीडियो वायरल
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Author: traffictail

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