विज्ञान भारती
आज कुछ अलग करना है फिर से अपना बचपन जीना है
फिर से वही शरारतें , फिर से वही सारे बातें
हर वह छोटे पल का एहसास
आज फिर से वही सारे पलों को समेटना है
Ab Khud Kuch Karna Paray Ga (Photo credit: Wikipedia)
आज कुछ अलग करना है , फिर से बीती बातों को दोहराना है
फिर से वही बारिश में भीगना और मिटटी के प्याले में चाय पीना
तपती धुप में खट्टे कैरी खाने का एहसास
आज फिर से वही मीठे पलों को सम्भालना है
आज कुछ अलग करना है , फिर से कुछ शिकायतें करनी है
फिर से वही भाई बेहेन का झगड़ा , फिर से मम्मी से डांट खाना है
छुट्टियों के मौसम का वह एहसास
आज फिर से वही रिश्तों का डोर सींचना है
आज कुछ अलग करना है अपने ज़मीर से जुड़ना है
फिर से वही कही अनकही बातों को कहना है
कशिश…
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