प्रश्न का दोष….
-लेखन हिन्द- (Indian Write-ups ) -सत्यार्चन
क्यों प्रश्नचिन्ह हर प्रश्न पर???
मेरे मन में
अक्सर उठा करता है
प्रश्न….
क्या ?
क्यों ?
कहाँ ?
कब ?
कैसे ?
कौन ?
किससे ?
जैसे उठते हुए प्रश्न पर
क्यों खड़े हो जाते हैं
प्रश्नचिन्ह ???
ये उठते हुए प्रश्न
हुए हैं सदैव आमुख
खोलने द्वार
ज्ञान के !
विज्ञान के !
आ-आ खड़े हुए
जब तब …
करने प्रशस्त ज्ञानमार्ग!
अधिकांशतः
टाले जाते रहे हैं
भिक्षुक से
ये प्रश्न !
होते रहे ये अग्रसर
कभी शांत संत से
बिखेरते मुस्कान…
कभी हो क्रोधित
कर गये शापित!
फिर अग्रसर
खोज में
वास्तविक ग्राही की
कभी जब मिला अतिथि सा मान
हो गया शुरू अभियान!
अज्ञात की खोज का…
हुए अब तक जो भी अन्वेषण
उपजे सभी के प्रश्न से ही अंकुरण
वह प्रश्न ही तो था सदा …
वह प्रश्न ही तो है निरंतर
चिरकाल से अनंत तक
जन्मता है अनवरत
हर अजाना उत्तर !
प्रश्न ही वह…
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