मैं और मेरा देश

द्वारा प्रकाशित किया गया

-लेखन हिन्द- (Indian Write-ups ) -सत्यार्चन

मैं और मेरा देश

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अक्सर हम हमारे देश और समाज की कुरीतियों, कुशासन कुप्रबंधन , कुप्रथाओं

और कपट आदि पर खुलकर खुन्नस निकाल रहे होते हैं ! हमारी इस हरकत के हामी

हमसे हमारे कई साथी भी मिल जाते हैं किन्तु ….. कभी खुद अपने आप पर सोच

कर भी देखा जाए !

हमारे देश , समाज, गाँव , शहर, कुल , परिवार और खुद अपनी दुर्दशा के दोषी

स्वयं हम भी कम नहीं निकलेंगे !

उससे भी बढ़कर बिडम्बना यह की हमेशा सुधरने की अपेक्षा दूसरों से , सुधार

की अपेक्षा दूसरों से , क्रान्ति की शुरुआत की अपेक्षा दूसरों से,

आन्दोलन / समर्थन / सहयोग की अपेक्षा भी दूसरों से ही किन्तु उपभोग के

समय हम खुद को सबसे बड़ा अधिकारी मानते हैं !

क्यों ????????????????????????

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अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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