वो हसीन गुनाह करता रहा
-लेखन हिन्द- (Indian Write-ups ) -सत्यार्चन
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मुन्सिफ ने उसपर जब उसके ही
वे-रहम कत्ल का इल्जाम सुनाया
तो मासूमियत पर उसकी बहुत तरस आया…
फेहरिस्त रखी गई हजारों मर्तबा किए गुनाह की
जिसे वो मुद्दत से करता आया था…
बावजूद वाकफियत-ए-अंजाम वो हसीन गुनाह करता रहा
हर बार कतरा-कतरा कर वो मरता रहा
दुनियादारी की अदालत ने जिरह का हक ना दिया
सीधे कसूरवार ठहराया
बाकी की जान भी कतरो में देने का हुक्म सुनाया…
एक राय से ज्यूरी की नसीहत आई
जिस तरह अब तक चारदीवारी को घर समझ
ये हक अदा करते आया है करता रहे
हक जताने का, हक पाने की ख्वाहिश पालने का
गुनाह फिर ना करे
फिर करता पाया भी जाये तो
इस अदालत में ना लाया जाये
जिस तरह लगातार ये एक ही गुनाह करता रहा
अपने गुनाहों तले अब तक मरता रहा
आगे भी गर करे तो फिर उसी तरह मरे
गाहे-बगाहे किए गुनाह में कतरा-कतरा
इसकी जान जाती रहे!
-Charchit Chittransh-
(Globally…
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