कहीं
किसी के लिये
कोई प्रतीक्षारत
आजीवन
आशान्वित
कभी तो होगी
अवतरित असामान से
आत्मा उसकी
जगाने फिर से
ह्रदय में स्पंदन
फूंकने फिर
देह में प्राण
आतुर, अनवरत , अनगिनत
पल, क्षण , घड़ी, दिन
मास, वर्ष, जन्म, व्यापित!
अथक , अनंतिम ,अविराम
हॆ कहीं कोई
प्रतीक्षित!
#सत्यार्चन
अब हम सबको किसी काइंतजार नहीं करना है। सबको तिरंगे के नीचे एक साथ, साथ खडे होकर मोबाइल अॉपरेटिंग डिजिटल इंडिया का निर्माण करना है।
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बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)
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