साप्ताहिक विचार – १

द्वारा प्रकाशित किया गया

अभी-अभी
मेरे 17+1 = 18 बच्चे
सीमा पर कर्तव्यस्थ रह,
देश की रक्षा करते-करते
वीरगति को प्राप्त हुए हॆं!
उनके इस उत्सर्ग को
प्रणाम!
दुश्मन से बदला
सेनाध्यक्ष ने निर्धारित कर लिया हॆ!
हमें उनकी क्षमता पर
तनिक भी संदेह नहीं होना चाहिए!
राष्ट्रहित में उचित निर्णय करने में
हमारे राष्ट्राध्यक्ष सदा से
सक्षम थे
आज भी हॆं!
हर संकट की घड़ी में
हम
संकट मोचक सेना के लिये
केवल संवेदना ही नहीं
हर तरह के सहयोग एवं बलिदान के लिये तत्पर रहें!
हम आम नागरिक शहादत की इच्छा रखकर भी स्वयं शहीद का दर्जा पाने के अयोग्य हॆं ….
किन्तु
हमारे शहीदों ने अपने पीछे
निराश्रित परिवार छोड़े हॆं!
हम उन परिवारों के उन्नयन में
सहयोगी तो हो ही सकते हॆं!
(हमारे माध्यम से भी …)
आइये एकजुट हो प्रतिग्या करें कि
संकट की इस घड़ी में हम सब प्रकार के भेदभाव त्याग कर,
शहीदों के आश्रितों , सेना, राष्ट्राध्यक्ष के निर्णयों, अभियानों, ऒर आवश्यकताओं में
सम्पूर्ण सहभागी हॆं
ऒर रहेंगे!
#जय_हिन्द!

अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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