बदतर को तत्पर रहें फिर जीभर जियें !

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बदतर को तत्पर रहें फिर जीभर जियें !

बड़ी-बड़ी एड्स, केन्सर, हार्ट प्राब्लम

जैसी बीमारियों के साथ भी

बड़ा सामान्य जिया जा सकता है,

सर्जरी के बाद भी —-

यदि हम बदतर को तत्पर रहें

फिर जीभर  जियें

बस कोई भी बीमारी
मन को बीमार ना कर पाये  —
इतना ही ध्यान रखना होता है,
बीमार को और उसके साथियों को!

बस बदतर को तत्पर रहें

फिर जीभर जियें !

आप को पता है कि स्वस्थ दिखते 10

लोगों में से 4 का दिल असामान्य होता है

जब तक उन्हें पता नहीं होता मस्त जी रहे होते हैं,
पता लगते ही तकलीफ़ 4 गुना बढ़ा लेते हैं!

लेकिन कुछ लोग तनाव नहीं लेते

और पहले की तरह मस्त बने रहते हैं!
उनका हार्ट भी पहले की ही तरह,

जितना कर पा रहा है,

निश्चिंत रह, काम करते रहता है —-

बंद होने तक !
मैं भी इसी तरह का इनसान ही हूँ!
जानता हूँ,

किसी दिन सोते -सोते चला जाऊंगा —-

मगर रोज चैन से सोता हूँ!

फिर भी, रोज,

सुबह हो जाती है,
तो उसका धन्यवाद करता हूँ —-

एक और दिन देने के लिये —

और पिछले दिये दिनों के अवसरों के लिये भी —-
उसकी मर्जी तक ही साँसें चलती हैं!
ना एक भी कम,
ना एक ज्यादा!
ना आप जान ही सकते हो कि कितनी,

लाख चाहकर भी

आप एक भी साँस नहीं बढ़ा सकते

ना कोई एक भी घटा सकता है!

ना आपके हाथ में कुछ है

ना जानकारी में!
फिर तो हर दिन,
हर पल उसके बुलावे को

तत्पर रहने से अधिक ताकत

और किसी तरह नहीं ही मिल सकती!
इसीलिए तत्पर रहता हूँ!
इस विश्वास के साथ कि

125 -150 साल तो उसने,

उसके रास्ते पर चलने,

जरूर दिये होंगे!

वो इतना तो चाहेगा ही—
कम चाहेगा तो भी,

मेरे हित के ही लिये!
वो कोई अहित नहीं करता —-

हम ही होते हुए हित में,

अहित ढूंढ़ परेशान होते रहते हैं!

या होते हित को तुरंत नहीं समझ पाते —-
और कभी-कभी ,

कभी भी नहीं समझ पाते!

जिसे आप सबसे खराब समझते हैं

उसके होने को स्वीकारने

जब आप तत्पर हो जाते हैं

तो  कम से कम

उसके घटित हुए बिना ही,

बार-बार उसके घटने की पीड़ा से,

उसके वास्तव में घटने तक तो

बचे रह ही सकते हैं!

बस मेरे स्वयं के,
सदा आनंदमय रहने के यही सूत्र हैं!

#सत्यार्चन

One comment

अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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