कहीं “काल” ना बन जाये बरसात … आइये प्रार्थना करें…

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कहीं “काल” ना बन जाये बरसात … आइये प्रार्थना करें…

(सबका सहयोग कर स्वयं के सहयोगी बनें!!!)

मित्रो; बरसात जरूरी है, आ भी गई है,

बरसात की अमृतमयी फुहारें अपने साथ चैन लेकर आती है… कृषि का यानी हमारे भोजन का साधन बन जाती हैं. लेकिन जब यही फुहारें धाराओं में बदल जाती हैं तो तूफान ले आती हैं… तब यही बरसात अमृत से आपदा  बन जाती है.

आस नहीं होती निराश
पसलियों के पिंजरे में …. धड़कता है जैसे दिल …. पत्थरों के बीच खुश हैं हम …. कभी तो पत्थरों पर भी… हरियाली छा ही जायेगी …

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कई प्राकृतिक आपदाओं की आशंका के पूर्व

हमने सामूहिक प्रार्थनाओं का बड़ा असर देखा है… आप चाहे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, या किसी भी धर्म के मानने वाले हों , प्रार्थना तो हर एक धर्म का हिस्सा है… और यह अपील करने वाला मैं आप के ही धर्म को मानने वाला हूँ‍‍…. .

आपको .यह भी विश्वास दिलाता हूँ कि ऐसी प्रार्थना हमारे मुख्यमंत्री जी व प्रधानमंत्री जी भी, यज्ञादि अनुष्ठान कराकर तक, वर्षों से करते आ रहे हैं,  यदि प्रजा मन वचन व कर्म से राजकीय हित में अपने बादशाद, सम्राट, राजा या प्रधान के साथ हो तो कोई राज्य कभी असफल हो ही नहीं सकता.  (सामूहिक प्रार्थना के कुछ पूर्व परिणामों  के  प्रमाण इस निवेदन के अंतिम भाग में,  आपके संतोष के लिये दिये गये हैं ताकि आप पूरे मन से प्रार्थना कर सकें!)

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इस बरसात के आगमन से पहले से मैं और मेरे परिजन,  मित्रगण और निकटजन पहसे से ही

अपने प्रदेश के लिये .यह प्रार्थना  करते आ रहे हैं कि

हे  सर्वोपरि (/ ‘…..’)  हम तेरे कदमों में विनीत रह,  तुझसे यह प्रार्थना (…/ इल्तिजा/ प्रेयर….) करते हैं कि हे  सर्वोपरि (/ ‘…’)  इस साल भारत में ऐसी बरसात हो कि कृषि को अमृत तो मिल जाये मगर किसी की जान पर ना बन आये …. किसी की जान ना जाये … हमारे मध्यप्रदेश सहित  सम्पूर्ण भारतवर्ष में, तू गुनहगारों पर रहम कर, उनको,  उनके किये की ऐसी भयानक सजा से मुक्त कर…  उनपर और और उनके आश्रित  निर्दोषों पर रहम कर….  ऐ सबके मालिक!  कुछ ऐसा करम कर कि … भूखों को भरपूर भोजन का साधन भी हो जाये और किसी निरीह की जान भी ना जाये…!”

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 आप सबसे निवेदन है कि,  जब,  जितना हो सके,  ऐसी प्रार्थना करते रहें … अभी तो बरसात शुरु ही हुई है … मध्य प्रदेश के बाहर, पहले ही, बरसात से,  कुछ जानें जा चुकी हैं ….  आगे; कम से कम जनहानि हो ! इसीलिए हम सब, अपने-अपने सर्वोपरि से,  ऐसी प्रार्थना करें और इस बरसात के बाद,  परिणामों की समीक्षा करें,  ताकि हम,  उस दयालु से, आगे और कई तरह की, खुशहाली के लिये भी, सच्चे मन से,  प्रार्थना  कर खुशहाली के दूत बने रह सकें.

पूर्वानुभव

बात सन 2011-12 के दि

सम्बर-जनवरी की है , मैं;  नया-नया स्थानांतरित होकर शहडोल पहुँचा था. परिवार अभी शिफ्ट हुआ नहीं था. … तो समय काटने एक विश्वप्रसिद्ध लेखक की प्रार्थना पर लिखी किताब पढ़ रहा था … उस लेखक के अनेक अनुभव उसके आराध्य की प्रार्थना के चमत्कारी परिणामों के रूप में उस पुस्तक में  लिखे थे … उस लेखक का उसके आराध्य के प्रति समर्पण से भरा,  गहरे विश्वास के साथ,  अनुरोध था कि हमें कुछ भी पाने के लिये उसके सुझाये आराध्य की आराधना व प्रार्थना करना चाहिये … मेरे मस्तिष्क में उसकी सीख घर कर गई …. किन्तु केवल प्रार्थना करने की आधी बात,  यानी उसके आराध्य के स्थान पर  अपने आराध्य की प्रार्थना करने की !

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एक दिन कार्यालयीन समय समाप्ति के बाद, घर जाने से पहले,  सहकर्मियों ने मौसम को देखते हुए,  ओलावृष्टि व उससे फसलों को होने वाले नुकसान  की आशंका जताई…,  मेरे मन में उस लेखक की आधी युक्ति घूम गई …. मैंने सहकर्मियों से विश्वस्त स्वर में कहा,  ओले नहीं गिरेंगे मगर आप को मेरा सहयोग करना पड़ेगा….!  रोज के मिलने वाले थे तो जरा में मान गये …! मेरे ही टेबल के आसपास बैठकर,  हम 3-4 लोगों ने अपने-अपने आराध्य से, हमारे बैठने की जगह से 15-15 किलोमीटर तक के क्षेत्र को,  ओलों से सुरक्षित रखने की प्रार्थना की….  आश्चर्य ! उसने मान लिया.

 2013 में 25-25 किलोमीटर, 2014 (भोपाल)  में 50-50 किलोमीटर के पुनः प्रार्थना की ‘उसने’ सुनी!  2015 में  भोपाल में भी, डी बी माल में 3 धर्मों के लोगों ने मेरे साथ बैठकर फिर से समूचे भोपाल व भोपाल के सीमावर्ती जिलों के लिये कृषि क्षेत्र को सुरक्षा देते हुए केवल शहरी क्षेत्र में  ही ओले बरसाने की प्रार्थना की… …… इन्हीं ओलों के लिये 2016 में समूचे मध्य प्रदेश को सुरक्षित करने की प्रार्थना की … सीमांत जिलों को छोड़कर उसने सुनी!  आप जानकारी जुटायेंगे तो आश्चर्यचकित रह जायेंगे कि हर बार हमारी सामूहिक प्रार्थना उस कृपालु द्वारा, लगभग  100%  सुनी गई… !  साथ ही अन्य अनेक अवसरों पर मित्रों , परिचितों के संकट काल में,  उनके साथ साथ-साथ,  मैं अपने मेरे मित्रों सहित ऐसी दया की याचना,   प्रार्थना कर उसके आश्चर्यजनक परिणाम देखते आ रहा हूँ… ! आप भी कीजिये!

मजहब मेरा-तेरा

(सबका सहयोग कर स्वयं के सहयोगी बनें!!!)

 

अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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