

अन्याय, अनीति, अनाचार, असत उन्मूलक! 'सत्यार्थ आंदोलन!' – "सतदर्शन"
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अन्याय, अनीति, अनाचार, असत उन्मूलक! 'सत्यार्थ आंदोलन!' - "सतदर्शन"
by Seema Kaushik
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🌹मेरा भारत महान हो सकता है यदि हम अपने हिस्से की महानता उसे समर्पित करें।🌷वही हूँ,जो सदा से हूँ🌷I M WHO M I🌷Lover of Mystics and Mysticism🌷Area of interest in Philosophy,Sanskrit & Hindi literature.Aspirent of समाधि & UPSC CSE
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मेरे पंख मेरी कवितायें
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मेरे ब्लाग पढें, राम और कृष्ण पर आधारित। शायद हमारे विचार आपको सही लगें। कि
राम ने जो किया वो सही था और है
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जी जरूर!
बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)
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श्रीराम ने सीता जी को त्यागा नहीं था। पहले की उम्र बहुत लम्बी होती थी, बच्चों को पालपोसकर बड़ा कर, राजपाट भी दे दिया। नाती पोते भी देख लिए, अब फालतू उम्र कटती नहीं है, वो तो नियंता हैं, अगर यहीं बने रहें गे तो दुनियां का कामकाज कौन चलाएगा।अब कोई बहाना बनाकर निकलना तो पडेगा ही।
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बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)
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बिल्कुल सही लिखा।सबकी अपनी सोच है।अगर भगवान समझते हैं तो कुछ भी बोलना बेकार।अगर इंसान समझते है तो बहुत कुछ है फिर भी उनकी सारी जिंदगी को जीना सबके बस की बात में नही।अपना साम्राज्य अकारण कौन छोड़ सकता है।जीता हुआ लंका कौन छोड़ सकता है।फिर भला अयोध्या की गद्दी से प्रेम कैसा।माता सीता से छल कैसा।जब इंसान राजा बनता है फिर उसे परिश्थिति का बोध होता है जिसे भगवान को भी इंसान रूप में झेलना पड़ा। बहुत अच्छा अपने लिखा है।
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धन्यवाद मित्र! आप मेरे कथन के मूल तक पहँचे… लेखन सार्थक हुआ! मेरा व्यक्तिगत व तार्किक अभिमत है कि श्रीराम या श्रीकृष्ण उनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण ईश्वरीय रूप प्रतिष्ठित हुये…. !
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