एक उत्तम रचना मातोश्री के श्रीचरणों में….
* तुने जिसे अपना जिंदगी देकर जीवन दिया।
*खुद भूखा रहकर खाना खिलाया।
*खुद प्यासा रहकर अपना दूध पिलाया।
*खुद खुले आसमान मे रहकर आँचल मे छुपाया।
*जब तुझे सहारा की जरुरत है,
तो दूध का रंग पढ़ गया काला।
*बचपन से जवानी तक साथ दिया,
जो भी किया नि:स्वार्थ किया।
*जब तुझे उसकी जरूरत है ,
तो उसने अपना अलग दुनिया बसा डाला।
*पत्नी के मोह मे उसने तुझे भुला डाला।
*जब आई तुझे खिलाने की बारी तो,
उसने छिन डाला तेरा ही निवाला।
*दूध का रंग पढ़ गया काला।
*तुने तो राम को जन्म दिया,पर बन बैठा रावण।
*तुने तो अपने बुढ़ापे के सहारे को जन्म दिया,
पर बन बैठा तुम्हारे जीवन का त्राण।
*फिर भी चुप रही जब तोड़ डाला,
उसने तुम्हारे विश्वास का माला।
*दूध का रंग पढ़ गया काला।
*तुने दी अनगिनत कुर्बानी,
पर उसने भुला दी तेरी कहानी।
*फिर…
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