*दूध का रंग काला*-( राजेन्द्र के बोल )

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एक उत्तम रचना मातोश्री के श्रीचरणों में….

राजेन्द्र के बोल

* तुने जिसे अपना जिंदगी देकर जीवन दिया

*खुद भूखा रहकर खाना खिलाया।

*खुद प्यासा रहकर अपना दूध पिलाया।

*खुद खुले आसमान मे रहकर आँचल मे छुपाया।

*जब तुझे सहारा की जरुरत है,

तो दूध का रंग पढ़ गया काला।

*बचपन से जवानी तक साथ दिया,

जो भी किया नि:स्वार्थ किया।

*जब तुझे उसकी जरूरत है ,

तो उसने अपना अलग दुनिया बसा डाला।

*पत्नी के मोह मे उसने तुझे भुला डाला।

*जब आई तुझे खिलाने की बारी तो,

उसने छिन डाला तेरा ही निवाला।

*दूध का रंग पढ़ गया काला।

*तुने तो राम को जन्म दिया,पर बन बैठा रावण।

*तुने तो अपने बुढ़ापे के सहारे को जन्म दिया,

पर बन बैठा तुम्हारे जीवन का त्राण।

*फिर भी चुप रही जब तोड़ डाला,

उसने तुम्हारे विश्वास का माला।

*दूध का रंग पढ़ गया काला।

*तुने दी अनगिनत कुर्बानी,

पर उसने भुला दी तेरी कहानी।

*फिर…

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अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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