काश्मीर फाइल्स में का बा?

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काश्मीर फाइल्स में का बा?

“#काश्मीर_फाइल्स” की समीक्षा अत्यावश्यक बन गई है तो चलिये एक पूर्व समीक्षा आप और हम सब मिलकर करते हैं…
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बस एक निवेदन है कि.. जिन-जिनका किसी के प्रति अंध विरोध या अंध समर्थन  है वे कृपया इससे आगे ना पढ़ें.. यहाँ तक के साथ के लिए उनका/ आपका आभार.. धन्यवाद्…!
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https://satdarshan.in/2022/03/14/%e0%a4%95%e0%a4%
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शेष समस्त सम्मानित तटस्थ पाठक जन..
आइये आज इस #सतदर्शन के व्यापार
यानी मीडिया और फिल्मउद्योग का ही सतदर्शन करते हैं..
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जिस #निर्देशित सतदर्शन के आदेशपालन में, आज का शेष बचा हुआ कला एवं मीडिया जगत; प्राणपण से जुट चुका  है..
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उसी दिग्दर्शन व्यवसाय में होकर भी.. कुछ  दिग्दर्शकों का ऐसे आदेशित सतदर्शन’ से इंकार था..  उनम़ें से कुछेक बीमार होकर अस्पताल में पड़े हैं… कुछ अनंत यात्रा पर निकल गये..
कुछ गिरफ्तार होकर जेलों में पड़े हैं और कुछ उनके अपनों पर बरसती आपदाओं से आहत और आतंकित हो निष्क्रिय हो चुके हैं..
ऐसे में “काश्मीर फाइल्स” जैसा नंगा सच देखने… सुनने.. समझने की उम्मीद नंगों से ही लगाकर क्या क्या हासिल होगा..?
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…शायद लोकप्रिय सरकार के यूक्रेन टेस्टेड
प्रभावशाली उपयोग की योजना बनाई गई हो..? 
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हमने कल “ऊधम सिंह” देखी.. उससे पहले “गंगूबाई” देखी थी और आने वाले कल में “काश्मीर फाइल्स” की बुकिंग है..
.अब जलियाँवाला बाग का, कमाठीपुरा का, या काश्मीर का ‘वास्तविक (और पूरा?) सच जो आज देखा-दिखाया जा रहा है उसे तब का 99% भारतवासी तो,  तब तक, समझने की समझ ही नहीं रखता था जब वह घट रहा था.. लेकिन अब… अब तो 100% भारत ही समझदार बनाया जा चुका है ना…?
आज का ज्ञानवान भारत 60 – 70 – 100 – 1000 या 10,000  साल पुराना भी… झूठ या सच जो भी हो
फिल्मों में ‘ठीक तरह से’ परोसा जाकर पूरी तरह समझा जा रहा है… बचा खुचा भारत ऐसी फाइल्स देखकर  समझ ही जायेगा.. ! आज का भारत ‘समझदार भारत’ है…  जरा से ‘तरीके से समझाने से’ अब सबकुछ बहुत अच्छे से समझने लगा है…!
भारत समझ चुका है कि साँपों को बिलों से निकाल-निकाल कर, जल्द से जल्द मारा जाना, इंसानों की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए… घर.. द्वार.. परिवार… रोजगार… सदाचार सब कुछ बाद में… सब.. इस समय और अभी के अभी तो केवल सभी साँपो का समूचा खात्मा किया जाना सबसे पहले.. सबसे अधिक.. जरूरी है… !
यदि अब भी इन साँपों को तुरंत जड़ से खत्म ना किया गया…
तो बिलों में छुपे हुए साँप…
किसी भी दिन… किसी भी पल संगठित होकर… एक साथ आक्रमण कर.. केवल भारत से ही नहीं समूची धरती से.. इंसानों का अस्तित्व…  पूरी तरह से मिटा देंगे..  यह रहस्यमयी गूढ़ज्ञान वर्तमान के सर्वाधिक बलवान योगीराज और उनके दर्पित दल को ही सर्वप्रथम हो सकता था तो हुआ…  और ज्ञानदर्शन उपरांत योगीराज अपनी जाति धर्म वाले प्राणियों यानी मानवों में साँपों के विरुद्ध वैसे समर्पित संघर्ष को पलते देखना चाहते हैं जैसा इस समय चल रहे युद्ध में रूसी सैनायें; खुराफाती पड़ोसी #यूक्रेन को, नेस्तनाबूद करने में कर रही हैं…! 
अब तो जागना होगा.. जागना ही होगा…  और अब साँपों से पहले ही…  इंसानों को संगठित होकर साँपों पर टूट पड़ना होगा… ! 
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हाँ इस संघर्ष में चंद इंसानों का बलिदान संभावित है.. होगा तो होगा ऐसा बलिदान जो अत्यावश्यक है दिया जाये…
मगर ऐसे छोटेमोटे बलिदानों से विशालकाय पारंपरिक शत्रु साँपों की प्रजाति से 100% छुटकारा पा लिया जाये…
कुछ ऐसा ही महाअभियान है महाराज जी का ….
बिलकुल वैसा ही…. जैसा कभी चीन ने बनाया और अनुपालन किया…  इतिहास गवाह है कि उस “ऑपरेशन पेरट”  के बाद से चीन को आज तक… कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा…! इतने बड़े प्रत्यक्ष के बाद किसी और प्रमाण की क्या-कैसी क्षमता ?
क्या उपयोगिता ?
हालांकि मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप से; साँपों के खात्मे की या साँपों द्वारा  मानवों की ही समाप्ति की विचारधाराओं को बचकानी बुद्धि से प्रेरित फितूर मात्र मानता हूँ… !
धरती सबकी है और #भारतवर्ष भी … किसी भी स्पिशीज की समाप्ति का कैसा भी विचार सम्पूर्ण मानवता का सबसे बड़ा शत्रु है और यदि अनुपालन का प्रयास किया जाये तो इस दिशा में बढ़ता हर कदम… मानवता के लिये आत्मघाती ही सिद्ध होना है…!
सबसे अच्छा यह है कि सब एकदूसरे को छेड़े बिना अपने अपने हिस्से की धरती का दोहन, संरक्षण और संवर्धन करें!

अच्छा या बुरा जैसा लगा बतायें ... अच्छाई को प्रोत्साहन मिलेगा ... बुराई दूर की जा सकेगी...

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