सत असत का युग…
वर्तमान समय #अर्धसत्य आधारित #असतयोग के प्रचार प्रसार और प्रभाव का है … !
यदि आप #सतयोगी हैं … तो सत्य के त्वरित स्वीकार का निरर्थक प्रयास बिलकुल मत कीजियेगा…
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#सुकरात का दोष भी यही था …
अन्वेषित सत्य को त्वरित मान्यता दिलवाने की ज़िद पाल ली थी उनने..
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मैंने अपना पूरा जीवन;
असत के आवरण में,
मौन जितना मुखर रहकर,
सतदर्शी हो…
सतप्रदर्शक बनकर ही बिताया है अब तक … !
हजारों में कोई एक ही मिल पाता है…
जो दिखाने के बाद जैसे तैसे सतदर्शक हो पाता है… ! सतसमर्थन तो और भी कठिन है.. !
आप सत्य हैं तो लगे रहिये… !
हम सतयुग के द्वार पर है …
भावी सुकरातों को, विषपान नहीं करना पड़ेगा….
शायद सम्मान भी मिलने लगे…!
– ‘सत्यार्चन’