वायरल ना होता तो #एनआरआईज (#NRI’s) भी कहाँ से देख पाते…? यदि कुछ एनआरआईज या विदेशियों ने देखा होगा तो संभवतः वे बोलें … वे बोले तो शायद हम सुधार की सोचें!
… क्योंकि अब तक तो हम बाहरी के बोलने पर ही अपनी कमी सुनने तैयार होते आते हैं … स्वीकार और सुधार तो बहुत दूर की बातें है…
मैं सोच रहा हूँ कि में भी कुछ दिन के लिए शिकागो में किसी की मेहमानी कर आऊं…. किसी वैश्या की मेजबानी सबसे उपयुक्त रहेगी क्योंकि उसकी दृष्टि में समभाव वाला ज्ञान तो पहले से ही होगा… और नवाचार का रुझान भी… तभी तो वो इस पेशे में आई होगी…
क्योंकि अपने देश के लोगों को … घर की मुर्गियों में स्वाद कभी आया ही नहीं… ना ही आनेवाला… जब तक कि मुर्गी #आसारामजी, #रामरहीमजी, #रामपालजी जैसी चटखारेदार गुप्त मसालों से बघारकर ना परोसी जाये.. ! #है_ना????????????