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खुशियों की खेती

हम पर ही हैं ग़म और खुशी

हम ही चुनते हैं उगाते हैं

चलो ज़िंदगी के खेत से

अब खरपतवार हटाते हैं..

चयन
खुशियां!

अबतक भटके हमतुम कितने 

बैठो मसले सुलझाते हैं
कुछ तुम बढ़ो कुछ हम
चलो! खुशियां उगाते हैं..

traffictail
Author: traffictail

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