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रोशन हुए चिराग

रोशन हुए चिराग

फिर से महफिल में

रूठकर जाने वाले

लॊट जो आये हॆं!

.

कब तक कोई सुनाये

अशआर

दिल-ए-खूं से

जाने

कोई

कतरा

कभी

छूकर भी गुजरा कि  नहीं ….

.

खुदबखुद खुश होते

ओढ़ लेते खुशफहमी

खुद ही रूठते खुद से

खुद खुद को मनाते हॆं …

बेवजह, बेमकसद यूं ही

बेकार जिये जाते हॆं!

.

ख्वाबों में ही सजती हॆ

खुद ख्वाबों की ही महफिल

ख्वाबों के कलाम खुद

ख्वाब पढ़ा करते हॆं

ख्वाब रुठ, लेते रुखसत

ख्वाब लॊट, फिर आते

ख्वाबों से ही महफिल  रोशन

ख्वाब ही अंधेरे हॆं!

इश्क अजब असर तेरा

तुझसे शाम, रात फिर सबेरे हॆं

#सत्यार्चन

traffictail
Author: traffictail

2 thoughts on “रोशन हुए चिराग”

    • बहुत बहुत धन्यवाद् आपका!
      (जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)

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