प्राकृतिक सूर्यप्रकाश में रहने वाले और संवेदनायुक्त संबंधों से समृद्ध व्यक्ति के जीवन में सफलता व संपन्नता सुनिश्चित है !
‘रामचरित मानस’ की 1 चौपाई में इस सनातनी सिद्धांत को सुंदरता से प्रदर्शित किया गया है-
जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना,
जहाँ कुमति तहाँ विपति निधाना!
अर्थात जिस परिवार, समूह, संस्थान या दल में शुभकारी सामंजस्य होगा वहाँ सम्पन्नता भी होगी किंतु जहाँ अशुभ चिंतक विग्रहकारी हों वहाँ विपत्तियों का सागर मिलेगा!
अब इसी संवेदनशीलता को वैज्ञानिक तथ्यों सहित प्रमाणित किया जा चुका है! संवेदनाओं और सूर्यप्रकाश के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के शोधकर्ताओं को इस वर्ष का चिकित्सा का नोबल पुरस्कार देने की घोपणा की गई है!
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इस शोध से यह भी स्थापित होता है कि संवेदनशीलता की अनुपलब्धता इंसान को शैतान भी बना सकती है..
देखिएगा…
बीबीसी न्यूज़ – स्पर्श और गरमाहट की गुत्थी सुलझाने के लिए दो वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार
https://www.bbc.com/hindi/science-58788605
1 thought on “सामंजस्य, शुभ और सुख का आपसी संबंध”
वास्तव में यह जानकारी लिखी तो अक्टूबर 2021 में ही गई थी किंतु जाने कैसे पोस्ट होनी रह गई थी… महत्वपूर्ण और सर्वकालिक उपयोगी है इसीलिए अब देर से भी प्रस्तुत करना उचित लगा!