दूजे को तुम तौलते, कभी तो ख़ुद को तोल मत निकाल मुँह से कभी, यार तू कड़वे बोल ✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️240.दोहा
दूजे को तुम तौलते, कभी तो ख़ुद को तोल मत निकाल मुँह से कभी, यार तू कड़वे बोल ✍️सीमा कौशिक ‘मुक्त’ ✍️
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