जो सच को यथारूप
देखने, सुनने, समझने, सहने
और स्वीकारने में असमर्थ हों
वे बहुत समृद्धिशाली तो हो सकते हैं
किन्तु शुभ नहीं !
– #सत्यार्चन का #सतदर्शन
जो सच को यथारूप
देखने, सुनने, समझने, सहने
और स्वीकारने में असमर्थ हों
वे बहुत समृद्धिशाली तो हो सकते हैं
किन्तु शुभ नहीं !
– #सत्यार्चन का #सतदर्शन
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