#श्रद्धा का प्रेमी भले झूठा निकला हो पर श्रद्धा का प्रेम तो झूठा ना था ना! उसके जिस्म से जान निकलते ही वो तो पीड़ा से मुक्त हो ही गई होगी..
फिर उस #मरी_हुई_श्रद्धा के शरीर के कितने ही टुकड़े किये गये हों…
श्रद्धा की आत्मा को शायद ही फर्क पड़ा हो..
पर जीवित श्रद्धा एक समर्पित प्रेमी थी जो जिस्म से जान निकलने से पहले भी… कितनी ही बार… कितने ही टुकड़ों में… बार बार मरी होगी… अक्सर प्रेमियों के साथ यही तो होता है.. धीरे धीरे.. थोड़े थोड़े… टुकड़े टुकड़े मरते हैं!
और तब टुकड़ों में मरते हुए उसकी आत्मा ऐसे असफल समर्पित प्रेमियों (सौहार्द समर्थकों) को न्याय दिलाने का कोई रास्ता भी जरूर खोजना चाहती रही होगी..
शायद उसकी इसी इच्छा का परिणाम है कि मरकर भी वो कुछ असफल प्रेमियों को न्याय दिलाने की वजह बन गई…
दिल्ली के उपनगर नोएडा, गाजियाबाद वगैरह में श्रद्धा के शव के टुकड़े ढूंढती पुलिस को दूसरे गुमनाम शवों के टुकड़े भी मिले और मिलते ही जा रहे हैं…
इनमें से कुछ समाचारों की सुर्खियां बने…
एक माँ-बेटे ने भी मिलकर (महीनों पहले) पति/पिता के टुकड़े करके फेंके थे…
एक मकान मालिक ने एक करोड़ रुपये के लालच में अपने किरायेदार के शव के टुकड़े कर 2 महीने पहले फेंके थे …!
अगर श्रद्धा प्रकरण बड़ा मुद्दा ना बनता तो शायद इन माँबेटों को ना उस मकान मालिक को ही (मानवीय न्यायालयीन) सजा मिल पाती …!
इसीलिए श्रद्धा के प्रेम को पूर्णतः निष्फल कहना शायद उसके प्रेम के साथ ज्यादती होगी!
देखिएगा..
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गाजियाबाद में ही किराएदार की हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े किए, बॉडी को कई जगहों पर फेंका
http://dhunt.in/H0alu?s=a&uu=0x293ce313d8abb7ef&ss=pd
Source : “India.com”