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देवत्व का निर्माण

बस बोध की ही बात है…

जिन्हें हो गया वे कालजयी बुद्ध हो गये..
जो बुद्ध होने से रह गये वे सुबुद्ध हो गये
जरा और कम हुए तो प्रबुद्ध तो हो ही गये!
मगर हो केवल वही सके..
जिनने बोध प्रबोध का.. सत्य का..
यथार्थ का..
पथ गहा!

देवत्व


जो ना बुद्ध हुए..
ना सुबुद्ध..
ना प्रबुद्ध ही हुए
लेकिन सात्विक थे और सतपथिक तो हो गये तो
कल ये ही प्रबुद्ध सुबुद्ध बुद्व भी हो जायेंगे!
वे सभी.. जो आज सतपथ अपनायेंगे उनमें से ही कल नये प्रबुद्ध निकलेंगे.. सुबुद्ध होंगे.. और कुछ बुद्ध भी हो जायेंगे! 
यही सिलसिला चलता रहेगा !
देहों का अवसान तो अवश्यंभावी है.. होना ही है.. और होता रहेगा.. किंतु देवत्व का संवर्धन जो होते आ रहा है.. वह भी  होगा.. निरंतर होते रहेगा … अनवरत.. और इस तरह देवत्व… जो चिरंतन है वह अनंत तक चिरंतन ही रहेगा!

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Author: traffictail

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