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शामपुर-शाहगढ़ की कबड्डी में अपने रामगढ़ की फजीहत

कबड्डी-कबड्डी

शामपुर-शाहगढ़ की कबड्डी में अपने रामगढ़ की फजीहत

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*शामपुर-शाहगढ़ की कबड्डी में अपने रामगढ़ की फजीहत*

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पूरे तालुका मेंन, हमारे रामगढ़ के पड़ोसी, सामपुर और शाहगढ़ के बीच कबड्डी के लिए पुराने और बड़े जुनून का चर्चा होते आ रहा है… 

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विवाद इतना कि दोनों की सीमाओं के बीच एक कबड्डी ग्राउंड पर कब्जे को लेकर किसी समय दोनों में‌ मैच जीतकर कब्जे  पाने की शर्त लगाई गई… मैच खूनखराबे में बदला निर्णय हो ना सका तभी, दसकों पहले, दोनो़ में तीखी दुश्मनी ठन गई .. (हालांकि तीसरा पड़ोसी कस्बा भी बीच बीच में उस ग्राउंड को अपना बताकर दोनों की दुश्मनी को हवा देते रहता था ..) 

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तभी से  दोनों ना कबड्डी खेलना छोड़ पा रहे हैं ना “पवित्र खेल भावना” की उदारता ही उनमें बची है.. कबड्डी को “खेल की तरह” ना खेलकर वे खूनी होली की तरह खेलने लग गये … 

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ठीक तरह कहें तो उनमें “स्वस्थ खेल भावना” तो दूर खेल भी नहीं बचा.. बस खेल के नाम पर खूनी दुश्मनी है जो निभाई जा रही है.. 

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 दोनों में से हर एक कैसे भी “तथाकथित कबड्डी” को जीतना चाह रहा है … 

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सालों से दोनों के बीच होने वाले मैच का फैसला नहीं हुआ.. ना कोई गेम पूरे समय खेला ही गया …

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 दोनों में से एक टीम के खिलाड़ी दूसरी टीम के खिलाड़ियों की जान  लेने उतारूं और जान लेते भी देखे गये हैं… ना केवल खिलाड़ी की ही ..  बल्कि उसके घरवालों, बड़े-बूढ़ों बच्चों की भी जान ली जाते रही है ..

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 कभी किसी मैच में कितने ही निर्दोष दर्शकों की जान तक इनकी खूनी कबड्डी में चली गई… 

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अभी हाल के दिनों में फिर यही हुआ… तब तालुका के बड़े कस्बों के प्रभावशाली लोगों में दोनों की दुश्मनी खत्म कराने की चर्चा शुरु हुई… तालुके के सबसे सशक्त गांव बेलापुर के प्रधान ने सामपुर को सही ठहराते हुए मदद का भरोसा दिया और  शाहगढ़ की कबड्डी टीम को पूरी तरह खत्म कर शाहगढ़ को भविष्य में खेलने योग्य ना छोड़ने के अमानवीय कदम का खुलकर समर्थन किया भले इसके लिए सामपुर को शाहगढ़ के एक एक घर की ईंट से ईंट बजानी पड़े … 

 हमारे अपने रामगढ़ के प्यारे प्रधान को बेलापुर प्रधान की बातें सुन पता नहीं क्या हुआ कि वे भी शाहगढ़ को रौंदने का समर्थन कर बेठे … 

इस बात पर रामगढ़ में ही नहीं पूरे तालुके में बहस छिड़ गई… 

तालुके के आधे से ज्यादा लोगों ने बेलापुर नरेश के समर्थन की थू-थू करनी शुरू कर दी… 

तो बेलापुर नरेश ने अपने सुर बदल लिये .. 

अब वो सामपुर से शाहगढ़ को नुक्सान पहुंचाये बिना शाहगढ़ की कबड्डी टीम को मारने की शर्त रख रहे हैं! जबकि शाहगढ़ वाले अपने खिलाड़ियों के लिए कैसा भी बलिदान देने तैयार हैं ! 

हम सोच रहे हैं कि इस मामले में कहीं हमारे रामगढ़ नरेश अकेले ही तो बदनाम ना हो रहे हों?

क्योंकि कबड्डी तो हमारे यहां भी बहुत लोकप्रिय है और अब हमारे खिलाड़ी भी कैसे भी जीतने को सही मानने लगे दिखते हैं तो कहीं…

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Author: traffictail

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