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ऐसे अत्याचार रोकने में कानून कब सक्षम हो पायेगा?

ऐसे अत्याचार रोकने में कानून कब सक्षम हो पायेगा ?

वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त एवं वैश्विक प्रतिष्ठित भारतीय संस्कृति में वयोवृद्धों का मान-सम्मान सर्वोपरि था.. इसीलिए हमारी संस्कृति के गुण गाये जाते थे!

आज के भारत की समृद्धि की चर्चा तो समूचे विश्व में है किन्तु सांस्कृतिक विपन्नता ऐसे अत्याचार रोकने में कानून कब सक्षम हो पायेगा?

का हाल इस वीडियो में दिख रहा है!

भारत में इस सांस्कृतिक पतन के जिम्मेदार पहले तो बाहरी और धर्महीन लोग समझे जाते थे  किंतु वर्तमान धार्मिक समाज और संस्कृति के पैरोकारों के शासन में भी वयोवृद्धों की ऐसी दुर्दशा हो सकती है इसे कौन मानेगा?

किंतु सच तो यही है ..
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मजेदार यह है कि यह एक वायरल वीडियो है जिसे सत्ताधारी दल के शीर्षस्थ में से एक राष्ट्रीय स्तर के नेता ने भी अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है!

ऐसे में विचारणीय हो जाता है कि वयोवृद्धों को इस दशा में पहुंचने देने के जिम्मेदार कौन हैं?

उन जिम्मेदारों के साथ क्या किया जाना चाहिए…?

इसकी रोकथाम के लिए क्या किया जाना चाहिए?
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अब इनका संगठन बन भी जाये तो भी ये सड़कों पर उतरकर ना तो बसें तोड़-फोड़ सकते हैं..
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ना ही आफिसों में घुसकर अधिकारियों से मारपीट ही कर सकता है…
इसीलिए सीनियर सिटीजन चार्टर पर सोचने का किसी राजनैतिक दल को क्या फायदा?
ये तो खुद अपने आप चलकर वोट डालने भी नहीं आ सकते…
इसीलिए कोई क्यों इनके मुद्दे उठाए?
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इनके हितों के लिए कोई क्यों सोचे?
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ऐसा भी नहीं है कि सीनियर सिटीजंस के लिए कोई कानूनी प्रावधान ना हों.. मगर वे ऐसे हैं कि अपनों के अत्याचार की अति होने से पहले कोई भी वरिष्ठ जन उन कानूनों की  सहायता लेने पर सोच ही ना सके…!
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सतदर्शन का सुझाव है कि एक नया टैक्स और / या टैक्स में छूट का प्रावधान किया जाए जिससे अर्जित आय को पीड़ित वयोवृद्धों के हित सुरक्षित रखने के लिए खर्च किया जाये !समय समय पर घर-घर का सर्वे किया जाये और जहां वरिष्ठ जन अनुचित स्थिति में मिलें उनको संबंधित टैक्स छूट भी ना मिले और उनपर अतिरिक्त कराधान किया जाये! इसी तरह के कराधान में नववधू/ बेटी सुरक्षा को भी शामिल किया जाकर सामाजिक पारिवारिक अनुशासन को पुनर्स्थापित किये जाते की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है!
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आपकी दृष्टि में इस दशा में क्या  किया जाना चाहिए?
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सतदर्शन के लिए प्रधान संपादक – सत्यार्चन “सुबुद्ध”

Sat Darshan
Author: Sat Darshan

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