यदि तुम तुम्हारी पत्नी को तुम्हारे समकक्ष सम्माननीय नहीं समझते तो निश्चय ही तुम गंवार हो!
यदि तुम्हें; तुम्हारा पति एक तुच्छ प्राणी लगता है तो निश्चय ही तुम पतिता सम्बोधन के योग्य हो!
Author: Sathyarchan VK Khare
यथार्थ ही अभीष्ट हो स्वीकार विरुद्ध हो भले..!