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इंसान! हैवान!! भगवान!!!

इंसानी वेअक्ली पर

बहुत तरस आता है !
जिंदा को तो ये लट्ठ दिखाता
और मृत की समाधि को

मिठाई खिलाने जाता है!!

कहलाना तो चाहता है

महान
हर इंसान !

मगर कर भी नहीं पाता,
खुद से तक पहचान!
नादान!
हैवानों को पूछता
मूरतों को पूजता,

ताउम्र नकारता
अपने ही भीतर

बैठा हुआ भगवान!
-सत्यार्चन

traffictail
Author: traffictail

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