तंदुरुस्त तन्हाइयाँ
चलती सड़क पर
सूना सा मेरा घर
दिलवालों की दौड़
लगी रहती दिन भर —
तनहाई बहुत यहाँ
तनदुरुस्त है मगर —
काश कोई दस्तक हो
कोई आवाज लगाये —
पानी माँगने आये
या पता ही पूछ जाये
कोई प्यास ना बुझाये
रखे – – –
आस ही जगाये!!!
–
#सत्यार्चन
….. अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द…
4 thoughts on “तंदुरुस्त तन्हाइयाँ”
ये तन्हाईयां जीवित खंडहरों की हैं जो हमनेनवम्बर के लास्ट ईयर के ब्लॉग में लिखा है क
बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)
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जरूर !
बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)